शहीदों की है ये दर्द भरी कहानी
शहीदों की है ये दर्द भरी कहानी

शहीदों की है ये दर्द भरी कहानी
शहीदों की है ये दर्द भरी कहानी
हर आखँ से आसूँ बहते थे
हर जुर्म को वो कैसे सहते थे
कोई आराम नही था
जीना आसान नही था
घर से निकलना दूर था
हर इन्सां मजबूर था
आई थी वो कैसी सुनामी
सहे ना कोई ऐसी गुलामी
हम जिन्दा थे पर बदतर थी जिन्दगानी
शहीदों की है ये दर्द भरी कहानी
शहीदों की है ये दर्द भरी कहानी
बडी बेबसी थी,लाचारी थी
पिन्जरे के पंछी से भी बदतर दशा हमारी थी
माँओं से बेटा छिन गया था
माँगों का सिंन्दूर उजड गया था
तोडकर अपनो से रिश्ता नाता
ऐसे भी कोई छोडकर है जाता
लहू से खेली थी होलियाँ
मौत को गले से लगा लिया
जान की परवाह ना करके देदी अपनी कुर्बानी
शहीदों की है ये दर्द भरी कहानी
शहीदों की है ये दर्द भरी कहानी
खून के आसूँ खुद रो रोकर
हमकों आजादी की नींद सुलाकर
शहीदों ने जान गवाई
इस मिट्टी की लाज बचाई
शहीद भगत सिंह ,आजाद इस धरती पर जनमें थे
फाँसी पर चढ गए वो उनमें कैंसे जज्बें थे
मेरा भारत महान है
जहाँ ऐसे वीर जवान हैं
इस धरती के नाम कर गए वो
अपनी खिलती हुई जवानी
शहीदों की है ये दर्द भरी कहानी
शहीदों की है ये दर्द भरी कहानी